Monday, December 30, 2019

डेटिंग ऐप डिलीट क्यों करना चाहते हैं आज के नौजवान?

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.

अब इन चार दो अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक मषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

Thursday, December 19, 2019

CAA: नागरिकता क़ानून से चिंतित असम के ये हिंदू

"भारतीय होने के बावजूद भी भारतीय न माने जाने का ग़म" ही क्या कम था चंदन डे के लिए कि अब ये फ़िक्र आ पड़ी- हिंदू होने के बावजूद वो नागरिकता के लिए आवेदन नहीं दे सकते क्योंकि नागरिकता क़ानून आदिवासी बोडोलैंड क्षेत्र में लागू नहीं है.

अपनी टूटी-फूटी हिंदी में चंदन कहते हैं, "ऊ कानून तो जो नया लोग आएगा उस पर लागू होगा न, पर हम तो पुराना आदमी है हमको भी उनका तरह नया बना दिया. और क़ानून है न कि वो तो बीटीएडी (बोडोलैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक्ट) में लगेगा नहीं."

नरेंद्र मोदी सरकार की आईएलपी एरिया, असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों को क़ानून के दायरे से बाहर रखने की रणनीति ने क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध को कुछ कमज़ोर ज़रूर कर दिया है लेकिन इन इलाक़ों, ख़ास तौर पर बोडो क्षेत्र में बसे लाखों हिंदुओं के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं.

पेशे से शिक्षक संजय सम्मानित कहते हैं कि बाहर के हिंदुओं की रहने दें अमित शाह, पहले ये तो बताएं, "किस तरह, कितनी बार साबित करें कि हम इंडियन हैं."

"नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA से स्थानीय बंगालियों का कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि वो तो पहले से ही भारत के नागरिक हैं. क्या सरकार उनको भी शरणार्थियों के साथ मिलाएगी? और तब उनको नागरिक माना जाएगा!"

संजय सवाल करते हैं, "सरकार ये तो बताए कि जो भारतीय नागरिक हैं उनको क्या करना है?"

असम के चार ज़िलों-कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदालगिरि वाले बोडोलैंड में ऑल असम बंगाली युवा छात्र परिषद के मुताबिक़ लाखों ऐसे हिंदू हैं जिनका नाम एनआरसी यानी नागरिकता रजिस्टर में शामिल नहीं हो पाया है और अब चिंता ये है कि उनके रिहाइशी इलाक़े में नागरिकता क़ानून लागू नहीं होगा, तो उनके लिए रास्ता क्या है?

लोग पूछ रहे हैं कि क्या अब हमको साबित करना होगा कि हमारे बाप-दादा यहां 50-60 साल पहले नहीं बल्कि 10-15 साल पहले आए थे और हम भारतीय नहीं हैं बांग्लादेश, या पाकिस्तान से भागकर भारत आए शरणार्थी हैं?

कुमारीकला निवासी छात्र परिषद के सुशील दास बताते हैं, "बंगाली संगठन गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन क़ानून के ख़िलाफ़ बढ़ते विरोध को लेकर लगता नहीं कि जल्द ही मुमकिन हो पाएगा."

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि सरकार पूरे देश में एनआरसी करवाएगी और ये असम में भी फिर से करवाया जाएगा.

मगर असम में हाल में हुए एनआरसी, जिसमें लोगों को दस्तावेज़ जुटाने से लेकर बाबुओं-अधिकारियों और वकीलों के घर-दफ़्तर के चक्कर काटने के लगातार सिलसिले ने आर्थिक और मानसिक रूप से लोगों को इस क़दर थका दिया है कि वो एक और एनआरसी की बात सुनकर झल्ला उठते हैं.

चंदन कहते हैं, "चाहे मार दो या यहां रख लो, अब मेरी हिम्मत नहीं है फिर से हज़ारों ख़र्च करने की."

वे पूछते हैं, "जब हिंदू राष्ट्र में हमारी सुरक्षा नहीं तो हम कहां जाएंगे. नेहरू जी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने हमको बुलाया था, हम लोगों को कैंपों में रखा गया, ज़मीनें दी गईं, नागरिकता मिली अब उन दस्तावेज़ों का कोई मोल नहीं? वो सब हम चने बेचकर थोड़े ही लाए थे, सरकार ने दिए थे वो दस्तावेज़, उनका कोई मोल नहीं?! हिंदुओं का कोई अस्तित्व नहीं?."

संजय सम्मानित का ट्यूशन सेंटर बुधवार को भी बंद रहा, नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच चंद बंगालियों पर हुए हमलों की ख़बर से लोग डरे हुए हैं.

संजय कहते हैं, "असम समझौते के बाद के 30 सालों में बंगालियों और असमियों के बीच एक तरह की शांति स्थापित हो गई थी, जिसे एनआरसी ने आकर तोड़ा और अब उसको नागरिकता संशोधन कानून ने और बढ़ा दिया है."

असम के एक उग्र नेता का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब घूम रहा है जिसमें धमकी दी गई है कि अगर बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए नागरिकता क़ानून लागू होगा तो सभी बंगाली हिंदुओं को असम से खदेड़ दिया जाएगा.

वकालत की पढ़ाई कर रहे प्रसन्नजीत डे कहते हैं, "सोचिए किस तरह की फीलिंग है लोगों के मन में बंगाली हिंदुओं के लिए."

इलाक़े में हुकूमत और अलग बोडो देश की मांग कर रही प्रतिबंधित संस्था नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड से वार्ता की भी अफ़वाहें जारी हैं जिसने बंगाली हिंदुओं के लिए यहां माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है.

ऑल असम बंगाली युवा छात्र परिषद के सुशील दास कहते हैं, बंगाली हिंदुओं ने बीजेपी को ये सोचकर वोट दिया था कि हिंदूत्वादी संगठन हमारे हितों का ध्यान रखेगी, लेकिन अब मालूम नहीं क्या होगा?

"भारतीय होने के बावजूद भी भारतीय न माने जाने का ग़म" ही क्या कम था चंदन डे के लिए कि अब ये फ़िक्र आ पड़ी- हिंदू होने के बावजूद वो नागरिकता के लिए आवेदन नहीं दे सकते क्योंकि नागरिकता क़ानून आदिवासी बोडोलैंड क्षेत्र में लागू नहीं है.

अपनी टूटी-फूटी हिंदी में चंदन कहते हैं, "ऊ कानून तो जो नया लोग आएगा उस पर लागू होगा न, पर हम तो पुराना आदमी है हमको भी उनका तरह नया बना दिया. और क़ानून है न कि वो तो बीटीएडी (बोडोलैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक्ट) में लगेगा नहीं."

नरेंद्र मोदी सरकार की आईएलपी एरिया, असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों को क़ानून के दायरे से बाहर रखने की रणनीति ने क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध को कुछ कमज़ोर ज़रूर कर दिया है लेकिन इन इलाक़ों, ख़ास तौर पर बोडो क्षेत्र में बसे लाखों हिंदुओं के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं.

पेशे से शिक्षक संजय सम्मानित कहते हैं कि बाहर के हिंदुओं की रहने दें अमित शाह, पहले ये तो बताएं, "किस तरह, कितनी बार साबित करें कि हम इंडियन हैं."

"नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA से स्थानीय बंगालियों का कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि वो तो पहले से ही भारत के नागरिक हैं. क्या सरकार उनको भी शरणार्थियों के साथ मिलाएगी? और तब उनको नागरिक माना जाएगा!"

संजय सवाल करते हैं, "सरकार ये तो बताए कि जो भारतीय नागरिक हैं उनको क्या करना है?"

असम के चार ज़िलों-कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदालगिरि वाले बोडोलैंड में ऑल असम बंगाली युवा छात्र परिषद के मुताबिक़ लाखों ऐसे हिंदू हैं जिनका नाम एनआरसी यानी नागरिकता रजिस्टर में शामिल नहीं हो पाया है और अब चिंता ये है कि उनके रिहाइशी इलाक़े में नागरिकता क़ानून लागू नहीं होगा, तो उनके लिए रास्ता क्या है?

लोग पूछ रहे हैं कि क्या अब हमको साबित करना होगा कि हमारे बाप-दादा यहां 50-60 साल पहले नहीं बल्कि 10-15 साल पहले आए थे और हम भारतीय नहीं हैं बांग्लादेश, या पाकिस्तान से भागकर भारत आए शरणार्थी हैं?

कुमारीकला निवासी छात्र परिषद के सुशील दास बताते हैं, "बंगाली संगठन गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन क़ानून के ख़िलाफ़ बढ़ते विरोध को लेकर लगता नहीं कि जल्द ही मुमकिन हो पाएगा."

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि सरकार पूरे देश में एनआरसी करवाएगी और ये असम में भी फिर से करवाया जाएगा.

मगर असम में हाल में हुए एनआरसी, जिसमें लोगों को दस्तावेज़ जुटाने से लेकर बाबुओं-अधिकारियों और वकीलों के घर-दफ़्तर के चक्कर काटने के लगातार सिलसिले ने आर्थिक और मानसिक रूप से लोगों को इस क़दर थका दिया है कि वो एक और एनआरसी की बात सुनकर झल्ला उठते हैं.

चंदन कहते हैं, "चाहे मार दो या यहां रख लो, अब मेरी हिम्मत नहीं है फिर से हज़ारों ख़र्च करने की."

वे पूछते हैं, "जब हिंदू राष्ट्र में हमारी सुरक्षा नहीं तो हम कहां जाएंगे. नेहरू जी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने हमको बुलाया था, हम लोगों को कैंपों में रखा गया, ज़मीनें दी गईं, नागरिकता मिली अब उन दस्तावेज़ों का कोई मोल नहीं? वो सब हम चने बेचकर थोड़े ही लाए थे, सरकार ने दिए थे वो दस्तावेज़, उनका कोई मोल नहीं?! हिंदुओं का कोई अस्तित्व नहीं?."

संजय सम्मानित का ट्यूशन सेंटर बुधवार को भी बंद रहा, नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच चंद बंगालियों पर हुए हमलों की ख़बर से लोग डरे हुए हैं.

संजय कहते हैं, "असम समझौते के बाद के 30 सालों में बंगालियों और असमियों के बीच एक तरह की शांति स्थापित हो गई थी, जिसे एनआरसी ने आकर तोड़ा और अब उसको नागरिकता संशोधन कानून ने और बढ़ा दिया है."

असम के एक उग्र नेता का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब घूम रहा है जिसमें धमकी दी गई है कि अगर बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए नागरिकता क़ानून लागू होगा तो सभी बंगाली हिंदुओं को असम से खदेड़ दिया जाएगा.

वकालत की पढ़ाई कर रहे प्रसन्नजीत डे कहते हैं, "सोचिए किस तरह की फीलिंग है लोगों के मन में बंगाली हिंदुओं के लिए."

इलाक़े में हुकूमत और अलग बोडो देश की मांग कर रही प्रतिबंधित संस्था नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड से वार्ता की भी अफ़वाहें जारी हैं जिसने बंगाली हिंदुओं के लिए यहां माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है.

ऑल असम बंगाली युवा छात्र परिषद के सुशील दास कहते हैं, बंगाली हिंदुओं ने बीजेपी को ये सोचकर वोट दिया था कि हिंदूत्वादी संगठन हमारे हितों का ध्यान रखेगी, लेकिन अब मालूम नहीं क्या होगा?

Friday, December 13, 2019

डोनल्ड ट्रंप ने कहा, ''चिल ग्रेटा, चिल'', ग्रेटा थनबर्ग ने कुछ ऐसे दिया जवाब

"एक किशोर लड़की जो अपने ग़ुस्से को काबू में करना सीख रही है. फ़िलहाल मस्ती कर रही हूं और एक दोस्त के साथ बढ़िया पुरानी फ़िल्म देख रही हूं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये परिचय है पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मुद्दों पर काम करने वाली स्वीडन की 16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वही ग्रेटा थनबर्ग जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में एक भावुक भाषण देते हुए ग़ुस्से में दुनिया भर के नेताओं से पूछा था, "हाउ डेयर यू?...आपकी हिम्मत कैसे हुई?"मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये उसी ग्रेटा थनबर्ग का परिचय है जिन्हें दो दिनों पहले ही साल 'टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर, 2019' का ख़िताब मिला है. ग्रेटा ने अपने ट्विटर बायो में अपना यही परिचय बताया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ग्रेटा ने ट्विटर पर अपने बारे में वही बातें लिखी हैं जो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कही थीं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसकी शुरुआत तब हुई जब अभिनेत्री रोमा डॉवेनी ने टाइम पत्रिका की कवर फ़ोटो (जिस पर ग्रेटा की तस्वीर छपी है) शेयर करते हुए उन्हें टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर बनने की बधाई दी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने उसी ट्वीट पर जवाब में लिखा, "कितना हास्यास्पद है! ग्रेट को अपने एंगर मैनेजमेंट की दिक़्कत पर काम करना चाहिए और किसी दोस्त के साथ बढ़िया पुरानी फ़िल्म देखनी चाहिए. चिल ग्रेटा, चिल!"मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद ग्रेटा थनबर्थ ने ट्रंप के इन्हीं शब्दों को अपना ट्विटर बायो बना लिया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वैसे ये पहली बार नहीं है जब ग्रेटा ने नेताओं की आलोचना का जवाब देने के लिए अपना ट्विटर परिचय बदला है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर ख़ुद को 'pirralha' बताया था. ये पुर्तगाली भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब होता है- बिगड़ा हुआ बच्चा. ग्रेटा ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने उन्हें 'बिगड़ी हुई बच्ची' कहा था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अक्टूबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने उन्हें 'दयालु लेकिन कम जानकारी वाली किशोरी' (a kind but poorly informed teenager) कहा था और उन्होंने इसे ही अपना ट्विटर बायो बना लिया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सितंबर में ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में दिए उनके भावुक भाषण का वीडियो ट्वीट करते हुए व्यंग्यात्मक लहज़े में लिखा था, "एक बेहद ख़ुश लड़की जो उज्ज्वल और शानदार भविष्य की राह देख रही है.'' ग्रेटा ने कुछ वक़्त के लिए ट्रंप के इन्हीं शब्दों को अपना ट्विटर परिचय बना लिया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ग्रेटा थनबर्ग टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर का ख़िताब पाने वाली अब तक की सबसे कम उम्र की शख़्स हैं. ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अपनी बातों से दुनियाभर के नेताओं और लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने मैड्रिड शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के 25वें जयवायु परिवर्तन सम्मलेन में भी हिस्सा लिया है. इस सम्मलेन में ग्रेटा ने वैश्विक स्तर के नेताओं के बारे में कहा कि वो बड़ी-बड़ी बातों से भ्रम पैदा करना बंद करें और 'असली एक्शन' करके दिखाएं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ग्रेटा थनबर्ग एस्परजर सिंड्रोम से ग्रसित हैं. एस्परजर सिंड्रोम एक तरह का ऑटिज़्म है जो लोगों के बात-चीत करने और दूसरों से संपर्क बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ग्रेटा ने एक बार बताया कि उन्होंने लंबे समय तक अवसाद, अलगाव और चिंता झेली है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे प्रभावित लोगों के व्यवहार में कई बार दोहराव दिखता है और इससे पीड़ित लोग अपनी बार सामान्य ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"एक किशोर लड़की जो अपने ग़ुस्से को काबू में करना सीख रही है. फ़िलहाल मस्ती कर रही हूं और एक दोस्त के साथ बढ़िया पुरानी फ़िल्म देख रही हूं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये परिचय है पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मुद्दों पर काम करने वाली स्वीडन की 16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वही ग्रेटा थनबर्ग जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में एक भावुक भाषण देते हुए ग़ुस्से में दुनिया भर के नेताओं से पूछा था, "हाउ डेयर यू?...आपकी हिम्मत कैसे हुई?"मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये उसी ग्रेटा थनबर्ग का परिचय है जिन्हें दो दिनों पहले ही साल 'टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर, 2019' का ख़िताब मिला है. ग्रेटा ने अपने ट्विटर बायो में अपना यही परिचय बताया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ग्रेटा ने ट्विटर पर अपने बारे में वही बातें लिखी हैं जो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कही थीं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसकी शुरुआत तब हुई जब अभिनेत्री रोमा डॉवेनी ने टाइम पत्रिका की कवर फ़ोटो (जिस पर ग्रेटा की तस्वीर छपी है) शेयर करते हुए उन्हें टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर बनने की बधाई दी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने उसी ट्वीट पर जवाब में लिखा, "कितना हास्यास्पद है! ग्रेट को अपने एंगर मैनेजमेंट की दिक़्कत पर काम करना चाहिए और किसी दोस्त के साथ बढ़िया पुरानी फ़िल्म देखनी चाहिए. चिल ग्रेटा, चिल!"मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

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ग्रेटा थनबर्ग टाइम्स पर्सन ऑफ़ द इयर का ख़िताब पाने वाली अब तक की सबसे कम उम्र की शख़्स हैं. ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अपनी बातों से दुनियाभर के नेताओं और लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

न्होंने मैड्रिड शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के 25वें जयवायु परिवर्तन सम्मलेन में भी हिस्सा लिया है. इस सम्मलेन में ग्रेटा ने वैश्विक स्तर के नेताओं के बारे में कहा कि वो बड़ी-बड़ी बातों से भ्रम पैदा करना बंद करें और 'असली एक्शन' करके दिखाएं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ग्रेटा थनबर्ग एस्परजर सिंड्रोम से ग्रसित हैं. एस्परजर सिंड्रोम एक तरह का ऑटिज़्म है जो लोगों के बात-चीत करने और दूसरों से संपर्क बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

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Wednesday, December 4, 2019

俄美中信息战:媒体被当作“外国代理人”

俄罗斯总统普京签署新法律扩大在媒体中划定“外国代理”的范围。俄罗斯同美国展开针锋相对的信息战,与此同时中美间的媒体指责也有增无减。

普京周一(12月2日)签署法律,允许俄罗斯政府有权将记者,博客作者,甚至社交媒体用户当作“外国代理人”,对2017年的俄罗斯法律作了进一步补充。

2017年美国司法部根据“外国代理人登记法案” (FARA)迫使俄罗斯电视频道“今日俄罗斯”登记为外国代理人。法律要求被列入外国代理人的“今日俄罗斯”定期透露财务状况。

“今日俄罗斯”被指为“俄罗斯国家管理的宣传机器”。据路透社报道,2017年初美国情报机构在报道中做出上述指称,并说“今日俄罗斯”在俄罗斯干预2016年美国总统选举中发挥了作用。莫斯科多次否认干预美国选举的指称,认为“今日俄罗斯”受到了不公平待遇。

随后,俄罗斯在2017年也通过了针对接受外国资助的媒体的法律。2017年以后,在俄罗斯被列入外国代理人的媒体有得到美国国会资助的“自由欧洲”,“自由电台”和“美国之音”。这些媒体按照要求向俄罗斯政府申报详细的财务报告。

俄罗斯可以让那些违反外国代理人法律的个人和机构付高额罚款。去年,莫斯科的法庭对俄罗斯反对派的杂志“新时代”罚款 338,000美元。检察官说,那个杂志没有提交报告说明他们从“新闻自由基金会”得到资金的用途。这个罚款几乎导致该杂志破产。他们最终靠支持者捐款才交还了罚款。

俄罗斯国家媒体塔斯社说, 俄罗斯的新法律授权俄罗斯政府屏蔽外国代理人或法人的网站,即在外国媒体发布违反俄罗斯法规内容时即可采取行动。

按照俄罗斯的新法律,一个人受国外资助发表任何内容将会被认定为外国代理人发布内容。这适用于记者和博客作者或者那些从登记为外国代理人或受外国资助媒体上发表内容的人。

在俄罗斯的“美国之音”负责人迪特默上月撰文说,俄罗斯官员现在同外国记者打交道很谨慎,特别是同国际公共广播记者接触特别谨慎,因为那些人被俄罗斯政府认定为外国代理人。美国之音,英国广播公司(BBC),法兰西24新闻频道,自由欧洲和德国之声都属于这类媒体。

美国的“外国代理人登记法案”要求外国政府,政党,游说团体以及在美国受雇的公关公司向司法部登记。在二战前美国为对付来自德国的宣传,在1938年通过了上述法律。

“外国代理人登记法案”内容广泛,旨在确认那些为外国政府或机构从事政治或准政治活动的个人或机构。所谓的“政治活动”指在通过影响美国政府机构或官员,公众生活,因此影响制定或改变美国内外政策的努力。

Monday, November 25, 2019

网络间谍到社交平台:美国担心中国的情报威胁

中国被指对美国及其盟国进行网络间谍活动,获取军事机密和商业机密。现在中国所有的社交媒体也被视为安全隐患,美国军方对中国的社交媒体抖音 (TikTok)展开安全调查。

美国陆军部长麦卡锡(Ryan McCarthy)周四(11月21日)在美国企业研究所的活动中对记者说,他已经下令对社交媒体抖音进行安全评估。

之前美国国会参议院少数党领袖,民主党参议员舒默致信麦卡锡要求调查军队使用抖音的潜在风险问题。他在信中说,国家安全专家就抖音搜集并处理用户数据表示担忧。另外舒默也提到中国法律要求国内公司对国家情报工作合作的问题。

上月舒默和共和党参议员汤姆·考顿联合致信给美国国家安全情报负责人,呼吁情报官员评估抖音的潜在安全风险。信中说,抖音在美国的下载量超过1.1亿,成为不能忽略的,潜在的反间谍威胁。

美国海外投资委员会已经对拥有抖音的中国公司北京字节跳动科技有限公司在美的收购案展开调查。北京字节跳动科技有限公司投资10亿美元收购了美国的社交媒体Musical.ly。

不过抖音一直强调该公司独立于中国国家。抖音公司美国总经理帕帕斯(Vanessa Pappas)本月初在博客中说该公司的数据中心"全部位于中国以外",美国客户端数据全部储存在美国,备份系统在新加坡。

北京字节跳动科技有限公司是中国发展最快的初创企业。抖音在美国有2650万月活跃用户,其中60%的用户为16-24岁的青少年。

2018年一个记录健身者运动轨迹的软件Strava泄密的消息引起了人们对社交软件安全问题的关注。

2017年Strava用积累的用户数据制作发布了一幅“全球运动热力地图”,有人在地图上找到了美国和俄罗斯等国在叙利亚,伊拉克和阿富汗等国的保密基地。

报道说此事引起五角大楼关注,开始注意现役军人使用手机和其他电子设备造成泄密的问题。

2017年美国军队就禁止其成员使用中国大疆创新科技有限公司制造的无人机,他们认为大疆无人机产品存在“网络弱点”。

美国国会参议员舒默和汤姆·考顿在上月的信中呼吁情报官员警惕中国拥有的,在美国境内活跃的其他内容分享平台。

民主党参议员舒默7月还呼吁美国联邦调查局和联邦贸易委员会针对俄罗斯开发的人脸编辑应用软件FaceApp进行国家安全和隐私调查。

Monday, October 21, 2019

من هن أخطر المجرمات المطلوبات في أوروبا؟

أطلقت وكالة مكافحة الجريمة في أوروبا يوروبول حملة تكشف فيها عن "أكثر النساء المطلوبات" من المتهمات والمدانات بارتكاب جرائم خطيرة في القارة العجوز.

وفي موقعها على الانترنت نشرت الوكالة صور الهاربات مغطاة بأقنعة لتحول في البداية دون الكشف عن هوية صاحبة الصورة وهل هو رجل أم امرأة؟

وقالت الوكالة إنها تريد فقط أن تؤكد أن قدرة النساء على ارتكاب جرائم خطيرة لا تقل عن الرجال.

ورغم ارتكاب النساء لجرائم خطيرة فإن الإحصاءات تشير إلى أن غالبية تلك الجرائم ارتكبها رجال.

كما كشفت دراسة حديثة حول علاقة النساء بعالم الجريمة، أعدت بطلب من الحكومة البريطانية ونشرت في العام الجاري، أن الرجال يهيمنون على أغلب الأدوار الإجرامية، بما فيها الأدوار القيادية في جماعات الجريمة.

من بين 21 هاربا، في صفحة تحمل عنوان "الجريمة لا جنس لها" هناك 18 امرأة و3 رجال، ويظل جنسهم مجهولا حتى إزالة القناع.

ومن بين هؤلاء المجرمين إلينا بوزيرفيتش، التي هربت 9 فتيات روسيات إلى كاسيريس في إسبانيا، حيث أجبرتهن على العمل في الدعارة.

وهناك أيضا أنجلينا ساكجوكا، المطلوبة لقيامها بضرب شابة حتى الموت في ريغا بلاتفيا منذ نحو 5 سنوات.

وقالت كلير جورجيس، المتحدثة باسم يوروبول، إن هذه الحملة تعد امتدادا لحملة بدأت عام 2016 حول أكثر المطلوبين في أوروبا، مشيرة إلى أن الوكالة تكثف جهودها للعثور على الهاربين الذين سلطت عليهم الأضواء في الحملة.

وأضافت قائلة: "نريد أن نبين أن لدى النساء القدرة على ارتكاب جرائم عنيفة كالرجال، رغم أن الحديث يدور غالبا حول هاربين من الذكور".

وقالت إن الوكالة طالبت الدول الأعضاء في الاتحاد الأوروبي تسمية أكثر النساء المطلوبات لديها، فقامت ثلاث دول هي بريطانيا وقبرص ولوكسمبورغ بإرسال اسماء رجال بدلا من النساء.

قالت الدكتورة ماريان دوغان، خبيرة الجندر والجريمة في جامعة كينت، لبي بي سي إن يوروبول على حق في ما يتعلق بوجود تنميط يتعلق بقدرة الرجال على ارتكاب جرائم أخطر، ولكن هذا التنميط موجود لأنه حقيقي.

وأضافت قائلة: "من الواضح أن أي شخص يمكنه ارتكاب أي جريمة، ولكن في ما ارتكبت بعض النساء جرائم خطيرة، لكن عددهن أقل كثيرا من الرجال".

وقالت الدكتورة دوغان إن جماعات الجريمة المنظمة تستغل التنميط الجندري عندما تقوم بجرائم على نطاق واسع، فالعديد من النساء في حملة يوروبول متهمات بالإتجار البشر بغرض الجنس والمخدرات.

وتقول دوغان إن النساء "أثبتن مهارتهن" في هذه الأدوار لقيادات المنظمات الإجرامية، ولكن من النادر أن تجدهن يتصرفن بمفردهن.

وأضافت قائلة: "بالنسبة للإتجار بالبشر بغرض الجنس هناك شعور زائف تجاه النساء يمكن استغلاله لكسب ثقة الضحايا، وبالنسبة لتجارة المخدرات فنحن عادة نرى النساء كشراك خداعية أو لتسهيل حركة المخدرات، ولكن ليس في المراكز القيادية في الجماعات الإجرامية".

وتابعت قائلة: "أما أغلب الرجال المتهمين في حملة يوروبول فمطلوبون في جرائم قتل".

وقالت: "لا أرى مساواة في ذلك، أعتقد أن الحملة تحظى بشعبية ولكنني لا أظن أنها ستغير الرواية وتجعل المرأة بنفس درجة الرجل في الإجرام، لأنني أعتقد أن أغلب الناس يعلمون أن ذلك غير حقيقي".

Tuesday, October 8, 2019

Нобелевская премия по медицине вручена за открытие, помогающее в борьбе с раком

Нобелевскую премию 2019 года по медицине получили американцы Уильям Келин и Грегг Семенца, а также британец Петер Ратклифф.

Премии удостоена их работа, посвященная тому, как живые клетки организма реагируют на присутствие кислорода.

Трое ученых выяснили, как клетки приспосабливаются к падению содержания кислорода в организме.

Шведская академия наук назвала элегантными результаты их исследований, которые помогут лечить анемию и даже рак.

"Фундаментальная важность кислорода известна много веков, но о том, как клетки приспосабливаются к изменениям уровня кислорода, мы ничего не знали", - сказано в заявлении комитета.

Уровень кислорода в разных частях тела разный, особенно при тяжелых нагрузках и во время занятий спортом.

Ученые, получившие Нобелевскую премию, работают в трех разных институтах: Питер Ратклифф - Институте Фрэнсиса Крика в Великобритании, Уильям Келин - в Гарварде, Грегг Семенца Университете Джонса Хопкинса (США).

С 1901 года, когда премию вручили впервые, победителей в этой номинации не объявляли лишь девять раз: с 1915 по 1918 (Первая мировая война), в 1921, 1925 годах, а также с 1940 по 1942 (Вторая мировая война).

В общей сложности лауреатами премии стали 219 человек, при этом лишь 12 из них - женщины.

Самому молодому лауреату премии было 32 года - ее получил в 1923 году канадец Фредерик Бантинг за открытие инсулина - гормона, регулирующего уровень сахара в крови.

Самым пожилым лауреатом стал в 1966 году американец Пейтон Роус за открытие вирусов, провоцирующих развитие опухолей. На момент присуждения премии ему было 87 лет.

В прошлом году Нобелевскую премию по медицине получили американец Джеймс Аллисон и японец Тасуку Хондзё за революционную методику иммунотерапии раковых заболеваний с использованием Т-клеток.

Разработанные Аллисоном и Хондзё препараты позволяют вылечить даже пациентов на поздней стадии рака, которых ранее считали неизлечимыми. Метод работы лекарств заключается в "обмане" раковых клеток, что не дает им блокировать имунную реакцию организма.

Препараты, разработанные на основе предложенных ими методик, уже успешно применяются в лечении раковых больных. Еще больше лекарств проходят клинические испытания и станут доступны в ближайшие годы.

Monday, September 30, 2019

Сидеть ли в холодном офисе в пальто? Или потом на улице мы замерзнем еще сильнее?

Часто говорят: если не хочешь замерзнуть, выходя на улицу, не сиди в помещении в верхней одежде, а куртку или пальто надевай только перед выходом из дома или офиса. Но правда ли это?

Если вы работаете в холодном офисе или на складе, продуваемом сквозняками, то надеть куртку или пальто, чтобы согреться, - вполне естественное желание. Но мы чуть ли не с детства слышим, что в таком случае мы замерзнем еще сильнее, когда выйдем на улицу.

В этом есть что-то нелогичное. Ведь если вы уже замерзли, то вам надо сделать что-то, чтобы сохранить остатки тепла? Но всё не так просто.

Чтобы разобраться, нам для начала надо кое-что узнать о том, почему мы замерзаем.

Наше тело покрыто крошечными рецепторами, реагирующими на изменение температуры. Они находятся в нервных волокнах нашей кожи. Когда температура опускается, эти рецепторы посылают соответствующий сигнал в мозг.

Рецепторы, реагирующие на холод, иногда называют ментоловыми, поскольку они реагируют еще и на ментол, дающий ощущение холодка, когда нанесен на кожу.

Такие нервные волокна распределены по всему телу и имеют доступ к центральной нервной системе на разных уровнях. Рецепторы на руках, торсе, ногах или плечах соединены с нейронами спинного мозга. Те же, что находятся на лице, голове или во рту, напрямую соединены с мозговым стволом.

Но, поскольку нервы передают электрические сигналы очень быстро, расстояние между охладившейся кожей и мозгом имеет мало влияния на скорость восприятия нами холода.

Сигналы, посылаемые рецепторами, поступают в отдел головного мозга, который называется таламус. Он отвечает, среди прочего, за передачу сенсорной информации от органов чувств к соответствующим областям мозга - в нашем случае в первичную соматосенсорную кору. Именно это и создает ощущение холода и его осознание.

Чтобы мы это почувствовали, мозг определяет место на теле, пославшее сигнал о понижении температуры, и то, насколько там холодно.

При экстремальных температурах (слишком горячо, слишком холодно) вы, кроме того, чувствуете боль из-за повреждения кожи.

Friday, September 20, 2019

Почему американские Patriot не отбили атаку на Саудовскую Аравию?

Саудовская Аравия не смогла отразить удар по нефтяным объектам, несмотря на присутствие в стране современных американских противоракетных комплексов.

Госсекретарь США Майкл Помпео, совершая визит в Саудовскую Аравию и Объединенные Арабские Эмираты, сказал журналистам, что "противовоздушные системы по всему миру не всегда действуют успешно".

"Даже самые лучшие в мире не всегда перехватывают [ракеты]", - ответил он на вопрос журналиста, как могли современные радары пропустить крылатые ракеты.

"Это был удар такого масштаба, который мы до сих пор не видели", - добавил Помпео.

В словах госсекретаря нельзя найти указания на конкретные системы, которые не справились с перехватом, но в мировой прессе восприняли это как признание того, что речь идет об американских комплексах Patriot, которые стоят на вооружении саудовской ПВО.

Система ПВО Саудовской Аравии включает в себя американские радары дальнего и среднего радиуса действия, а также системы среднего радиуса Patriot и стратегическая THAAD дальнего радиуса действия, которые также оснащены радарами.

Кроме того, в арсенале есть устаревшая артиллерийская зенитная установка Oerlikon GDF ближнего радиуса действия.

Доподлинно неизвестно, какие из этих систем прикрывали комплексы, по которым был нанесен воздушный удар.